अप्रैल 1987 में सेंट पाल्स चर्च कलीसिया में प्रेसबिटर इन चार्ज का मतभेद होने के कारण पास्टर के साथ एक समूह, लगभग 100 परिवार मुख्य धारा से अलग हो गया तथा अलग स्थान पर आराधना करने लगा। मतभेद दूर करने के लिए अनेको बार बिशप से बात करने के प्रयास भी किये गए, किन्तु न ही उन्होंने अवसर दिया न ही समझौता कराया। फिर भी यह समूह सी. एन. आई. की परिपाटी में आराधना एवं धार्मिक अनुष्ठान का पालन करता, कि एक दिन समझौता होगा और इस कलीसिया को "एडहॉक. सेंट पाल्स चर्च" के नाम से पुकारा जाने लगा।
तीन वर्षो के प्रयास के उपरान्त भी कोई समझौता नहीं हुआ, तो पादरी एस.पी. दत्त द्वारा न्याय के लिए सिनेड कोर्ट में अपील की गयी तथा यह समूह "ग्रेस चर्च सोसाइटी" का गठन कर "ग्रेस चर्च कलीसिया" नामक स्वतंत्र कलीसिया के रूप में प्रारम्भ की गयी। अन्य स्वतंत्र चर्चों के समान यह पर भी बच्चों जवानों की धार्मिक-शिक्षा, बपतिस्मा सन्डे स्कूल, दृदीकरण, महिला-सभा एवं जवान-सभा की व्यवस्था की गई। मृत्यु उपरांत अंतिम संस्कार के लिए कैथोलिक कब्रस्थान टिकरापारा तथा शादी ब्याह हेतु चर्च ऑफ़ गॉड, राजातालाब के चर्च भवन की सेवाओं का विशेष योगदान प्राप्त हुआ।
आराधना के लिए हर समय नई नई जगह ढूंढी जाती थी। पास्टर एवं पॉस्ट्रेट कमेटी द्वारा विभिन्न स्थानों में आराधना की संगति के लिए प्रबंध किये गये। कुछ प्रभु के दासों ने अपने घर के द्वार खोल दिए। श्री एच .सी . जेकब एवं श्रीमती जेकब ने बैरन बाजार स्थित अपने घर की बैठक का कमरा प्रारम्भिक दिनों में आराधना हेतु प्रदान किया। सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण स्थान के अभाव में, यह समूह उनके ही निवास स्थान के सामने श्री के. सी. थामस के प्रांगण में कई महीनों तक आराधना करता रहा। इसके पश्चात मेसोनिक लॉज के सामने का मैदान, गर्वनमेंट बॉयस उ. मा. शाला के निकट मस्जिद के सामने का मैदान, स्व. डॉ. भुजबल सिंह का "सिंग पैलेस" तथा सामने की बिल्डिंग के बेसमेंट (तलघर) में सन 2008 तक घूम - घूम कर आराधना करते रहे।
इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा दरी, पंखे, आवश्यक फर्नीचर एवं कनात के लिए कपड़े दान में दिए गए क्योंकि बार बार किराया भंडार से सामग्री लाना महंगा पड़ता था। यहां तक की रात - रात भर बैठकर श्री आईजिक मसीह एवं साथी मशीन चला कर स्वयं कनात की सिलाई करते थे। चर्च के सदस्यों ने बड़ी उदारता से चर्च भवन की जमींन खरीदने के लिए दान दिया, जो अत्यंत सराहनीय है। इस प्रकार संघर्षपूर्ण २२ वर्ष बीत गये। इस दौरान रेव्ह. एस. पी. दत्त पास्टर रहे।
सदस्यो की संख्या 200 से ऊपर पहुंच गई थी, इसी बीच सन 2008 में सी. एन. आई. सिनेड कोर्ट से पास्टर साहब को एक फैसला प्राप्त हुआ। judgment 2008, 03 के अनुसार निर्णय किया गया की पुरानी बातों को मुक्त कर यदि ग्रेस चर्च पुनः सी. एन. आई में आना चाहे तो उनका स्वागत है, उन्हें जबलपुर डायोसिस में ग्रहण कर नया पास्टोरेट प्रदान किया जावेगा। "अतः नम्रता एवं प्रार्थना के साथ चर्च के सदस्यों का एक शिष्ट मण्डल जबलपुर बिशप पी. सी. सिंग से चर्चा करने गया।दिसम्बर 2008 में प्रथम भेट में बिशप साहब ने पूर्ण सहृदयता दिखाते हुए बड़ी आत्मीयता के साथ स्वागत किया तथा सी. एन. आई में शामिल करने की स्वीकृति प्रदान की। औपचारिकता पूर्ण कर शिष्ट मण्डल ने पुनः जबलपुर जा कर आवेदन एवं आवश्यक कागजात जमा कराया।
आराधना भवन के अभाव के कारण होने वाली असुविधा की जानकारी देने पर उन्होंने तुरंत गास मेमोरियल सेंटर रायपुर में तब तक आराधना करने का प्रबंध कराया जब तक चर्च भवन उपलब्ध न हो जाये। इस प्रकार बिशप पी. सी. सिंग ने letter no. BSP /G.C.S./03/01 dated April 24, 2009 के द्वारा अधिकारिक रूप से घोषणा की कि ग्रेस चर्च रायपुर, सी. एन. आई के बैरन तले जबलपुर डायसिस का रायपुर शहर में चौथा पास्टोरेट होगा । ऐसा कर उन्होंने अपनी गरिमा पूर्ण दक्षता का सर्वोच्च परिचय दिया, ग्रेस चर्च के इतिहास में ईश्वरीय योजना की परिपूर्णता सिध्द हुई। ग्रेस चर्च ने इसे विनम्रता एवं धन्यवाद पूर्वक स्वीकार किया। साथ ही तुरंत वरिष्ठ पादरी रेव्ह. राबर्ट अली की नियुक्ति, नये प्रथम प्रेसबिटर इन चार्ज के रूप में कर ग्रेस चर्च को अनुग्रहित किया।
चूंकि सदस्यो की संख्या 200 से ऊपर पहुंच गई थी, गास मेमोरियल सेंटर का हॉल भी छोटा पड़ने लगा। अगुवों ने इस समस्या से बिशप साहब को अवगत कराया। बिशप साहब ने UCNITA के पदाधिकारियों से चर्चा की। उनकी पहल से तथा अनुशंसा से सेंट पॉल्स उच्च माध्य शाला बैरन बाजार की भूमि का वह भाग जो काम में नहीं लाया जा रहा है तथा खुला भूखंड है उसके लिए पत्र july 2009/UCNITA /35 65 dtd. july 3, 2009 को प्रत्र भेजा गया। UCNITA की मैंनेजिंग कमेटी ने स्वीकृति प्रदान करते हुए पत्र क्रमांक BSP /G.C./ 09/ 05 dtd. 21/11/2009 के अनुसार जबलपुर डायोसिस के माध्यम से सूचित किया कि, ग्रेस चर्च CNI रायपुर को चर्च भवन एवं पार्सनेज निर्माण हेतु 9075 Sq.ft.का भूखंड सेंट पाल्स हायर सेकंडरी स्कूल परिसर में उपलब्ध कराया जाता है।
चूँकि दक्षिणी रायपुर क्षेत्र में सी. एन. आई का कोई चर्च नहीं था, पूर्व में जोरा का सेंट लूका चर्च, पश्चिम में सेंट मैथ्यूज चर्च तथा उत्तर में सेंट पाल्स चर्च होने के कारण दक्षिण क्षेत्र में ग्रेस चर्च का एक चौथा पास्टोरेट के रूप में उभरना एक मील का पत्थर साबित हुआ तथा ईश्वर की आशीष का महान कारण बना।
इस भूखंड पर चर्च भवन निर्माण एवं एक पार्सनेज के निर्माण हेतु Rs. 58 लाख का अनुमानित बजट, आंतरिक और बाह्य आडिट करने के पश्चात स्वीकृति हेतु जबलपुर डायोसिस को भेजा गया इस आशा और पूर्ण विश्वास के साथ की अनुमति प्राप्त होते ही उदारतापूर्वक दान राशि प्राप्त होनी शुरू हो जाएगी तथा हमारे सदस्यों एवं मित्रो ने उदारतापूर्वक दान देकर हमें निराश नहीं किया।
इस प्रकार दिनांक 12-11-2009 को UCNITA की मैंनेजिंग डायरेक्टर श्री प्रेम मसीह के पत्र से स्वीकृति प्रदान की जाने की सूचना प्राप्त हुई। ( पत्र क्र. Nov 2009 /UCNITA/3625 dtd. 12-11-2009 के अनुसार थी। ) दिनांक 29-11-2009 को GROUND BREAKING CEREMONY संपन्न की गई, जिसमें बिशप पी. सी. सिंग, डायसिस के पदाधिकारीगण एवं ग्रेस चर्च के वरिष्ठ सदस्यों ने गैती, फावड़ा चला कर भूमि खोदी तथा प्रार्थना एवं धन्यवाद के साथ भवन निर्माण की प्राथमिक औपचारिकता पूर्ण की। इस समय तक छत्तीसगढ़ डायसिस का गठन हो चूका था।
नगर पालिका निगम से भवन का नक्शा स्वीकृत करने की प्रकिया प्रारम्भ हो गई तथा इसे चर्च भवन न कह कर "सामुदायिक भवन " की अनुमति प्राप्त हुई। दिनांक 04-11-2011 को, Rt Rev Dr. P.P. Marandih, श्री आलवीन मसीह एवं बिशप पी. सी. सिंग के कर कमलों से आधार शिला रख कर शिलान्यास की प्रक्रिया पूर्ण की गई। ग्रेस चर्च के पूर्व एवं वर्तमान सदस्य जो विगत २२ वर्षो से धनराशि जमा करते आये थे तथा एक माह का वेतन प्रति वर्ष देकर आज तक अपनी उदारता के द्वारा भवन निर्माण को सम्भव बना रहे हैं, उनके सहयोग से, श्री बास्को मोंटीरियों के कुशल मार्गदर्शन एवं श्री एस.डी. लाल कन्वीनर, working committee church Bldg. के विशेष सहयोग से निर्धारित भूखंड पर आराधना हेतु एक हॉल बनकर तैयार हुआ, जिसका उद्घाटन 25-11-2012 को The Rt. Rev. Pinuel Dip के कर कमलों से हुआ। हाल के साथ चौकीदार का क्वार्टर भी बनाया गया। इसी प्रकार मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति हेतु आराधना भवन तो बन गया किन्तु वास्तविक चर्च का निर्माण एवं संडे स्कूल का निर्माण भी 4 सितंबर 2016 में पूर्ण किया गया। ग्रेस चर्च का निर्माण भी 2 जून 2019 में पूर्ण हो चुका है। प्रथम तल पर निर्माणाधीन चर्च भवन एवं पार्सनेज के लिए सभी सदस्यो के उदारतापूर्वक दानराशि पर हम अभी भी निर्भर है तथा अपेक्षा करते है की हम नहीं तो आगामी पीढ़ी वास्तविक चर्च भवन बना कर प्रभु के उस आदेश को गति प्रदान करेंगे ताकि अधिक से अधिक लोगो तक प्रचार किया जा सके" तुम सम्पूर्ण जगत में जाओ और सारी सृष्टि में सुसमाचार प्रचार करो। हम आभारी है एवं ईश्वर का धन्यवाद करते है हमारे दिवंगत बुजुर्गो के लिए जिनमें श्री आईजक मसीह, श्रीमती पी.डी. सिंग, श्री एवं श्रीमती एच. सी. जेकब, डॉ. एवं श्रीमती भुजबल सींग, श्री एवं श्रीमती बी. देवदास, श्रीमती चौहान (सीनियर) श्री युसुफ, डॉ. जे.जेड. सिंग, श्री जे. के. आसना, श्रीमती ई. पी. दत्ता, श्री व्ही. सालोमन एवं श्रीमती व्ही. के वानी, प्रमुख है जिनके पास न केवल चर्च भवन का दर्शन, पर उन्होने इतने वर्षो तक लोगो को प्रेरित कर, धैर्य बंधाया तथा उन्हे जोड़कर रखने का महान योगदान दिया। हमारे वर्तमान बुजुर्ग जो आज हमारे साथ है सर्व श्री सी. आर. चौहान, श्री जे. एल.जेम्स, श्री व्ही. के. वानी, श्रीमती एन. आसना, श्रीमती एस. युसुफ, श्रीमती एच. तांडी, श्रीमती यू. बी. लाल, श्रीमती एस. राबर्ट एवं श्रीमती अनीता टोप्पो, जो प्रारम्भ से अभी तक हमारा मार्गदर्शन कर रहे है शारीरिक रूप से कमजोर होते हुए भी अपनी उपस्थिति, सुझाव एवं आर्थिक योगदान देते हुये हमे सम्भाले हुए है। वर्तमान की नवीन पीढ़ी के सहयोग के बिना चर्च भवन का पूर्ण होना संभव नहीं हो सकेगा। अतः उनकी ओर आशा से तथा उनकी क्षमता पर पूर्ण विश्वास रखते हुए हम परम पिता परमेश्वर को धन्यवाद देते है कि यह नवीन पीढ़ी के स्तम्भ न केवल स्वप्नदर्शी रहे है किन्तु चर्च को नई दिशा भी प्रदान कर रहे है।
ईश्वर आप सभी को आशीष देवे।
31-05-22
रायपुर
श्रीमती एन.आसना
प्रस्तुतकर्ता
धन्यवाद का गीत अनादिकाल से शरणस्थान हमारा तू रहा